LYRIC

हरनी के जैसी पियास लगी है
आ बन के बदल कहीं से
फ़ज़ल-ओ-करम की कर दे तू बारिश
है पियासी सारी ज़मीन यह

हैं पियासे टन यह हैं पियासे मान यह
हैं पियासे जीवन हमारे
हैं पियासे जीवन हमारे
दो चारबूंडन ही मिल जैन काफ़ी हैं
कुछ तू नामी हो लाबुन पे

तेरे वचन पर हैं आस लगे
तू पियासा रहने ना दयगा
जो लियान ईमान तेरे वचन पर
वो बहता चश्मा बन जाए

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