LYRIC

कौन करे मोहे पार? तुम बिन, कौन करे?

1 गहरी नदियाँ नाव पुरानी, कैसे मैं उतरूँ पार?

2 गहरी है वह नदियारे, और नाव पड़ी मझधार

3 खेरा देश कुटुम्म वाँ काम न आवे और न आवे ज्ञान

4 मात, पिता सब छोड़ें वाँ जब किश्ती हो मझंधार

5 धन दौलत वाँ काम न आवे, आवे न संसार

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