LYRIC

कब तक खुदा मेरे कब तक
आए खुदा मुझपे इतना कहर ना दिखा
अब तो मुझपे रहम कर के मैं मार चला
मुझको देदे शिफा
बेकरारी मेरी जान की बदती रहेगी, यह कब

आए खुदवंद तू अब मेरी जान को छुड़ा
अपनी रहमत की खातिर से मुझको बचा
मार के कैसे करूँगा तुझे याद में
कब्र में शुक्र कैसे करूँगा आता
में तो करहते तक ही गया, और

मेरे बिस्तर पे है आसून की नामी
मेरी आँखें भी रो रो के जाती रहीं
आए मेरे दुश्मनों तुम यह सुनलो ज़रा
मेरे मलिक ने सुंली मेरी दुआ
हैं वो दुश्मन मेरे बेकरार और शर्मिंदा
रहमत खुदा तेरी रहमत

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