LYRIC

मन मंदिर में बसने वाला
यीशु तू है निराला

जिसके मन में तू जन्म ले
अविनाशी आनन्द से भर दे
आदि अनन्त की प्रीत रीत की
जल जाऐगी ज्वाला

मूसा को तूने पास बुलाया
स्वर्ग लोक का भवन दिखाया
महा पवित्र स्थान में रहकर
आप ही उसे सम्भाला

पाप में दुनियाँ डूब रही थी
परम पिता से दूर रही थी
महिमा अपनी आप ही तज कर
रूप मनुष्य ले आया

प्रेम हमें अनमोल दिखाया
प्रेम की खातिर रक्त बहाया
क्रूस पर अपनी जान को देकर
मौत से हमें छुड़ाया

हर विश्वासी प्रेम से आये
खुशी से अपनी भेंट चढ़ाये
अन्धकार अब सब दूर हुए हैं
मन में हुआ उज्यिाला

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