LYRIC

जब नरसिंगा फुँका जावे, शहर में बुलाने को
कि हर एक खुदा से अजर पावेगा
जिस वक्त साथ उसके बिहिश्त में बरगुजीदा जमा हो
तख्त के सामने मैं भी हाजिर होऊँगा

जिस वक्त नाम पुकारा जावे ( 3 )
तख्त के सामने मैं भी हाजिर होऊँगा

शुभ-इ-सादिक उसी दिन जब की जी उठे मोमिनीन
और जा पहुँचे रास्तबाज अबदी आरामगाह
ताज इ-जिन्दगी जब पावें बरगुजीदा कैमो के
बीच जमायत मैं भी हाजिर होऊँगा

पास मसीह के लिए खिदमत सुबह से शाम तक करूँगा
तो मुहब्बत उसकी जाहिर हो सदा
तब जिस वक्त खुदा बुलावे, हमें अजर देने को
मुझे भी वह ताज आसमानी मिलेगा

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