LYRIC

जीवन जल आत्मा प्रभु, बहती नदियां सा आ तू प्रभु
आ प्रभु सतगुरु, आ प्रभु सतगुरू
बहती नदियां जैसा, बहती नदियां जैसा

थोड़ा डूबूं काफी नहीं, ज्यादा डूबंू काफी नहीं,
पूरा पूरा डूबना है डूब डूब मगन होना है

इसमें बहती आरोग्यता, इसमें बेहती है शुद्धता,
इसमें बहती है शान्ति इसमें बेहती है सम्पन्नता

कोटि कोटि मछुआरे आओ, जल्दी जल्दी जालें लगाओ,
गाते गाते मछली पकड़ लो आत्माओ से भरभर लो

नदी के तट पर पेड़ अनेकों, देते होंगे फल भी अनेकों,
पत्ते बन जायेंगे दवा फल बन जायेंगे भोजन

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