LYRIC

परम पिता की हम स्तुति गायें
वो ही है जो बचाता हमें
सारे पापों को करता क्षमा
सारे रोगों को करता चंगा

धन्यवाद दें उसके आसनों में
आनन्द से आयें उसके चरणों में
संगीत गा के खुशी से
मुक्ति की चट्टान को जय ललकारें

वही हमारा है परम पिता
तरस खाता है सर्व सदा
पूरब से पश्चिम है जितनी दूर
उतनी ही दूर किये हमारे गुनाह

मा की तरह उसने दी तसल्ली
दुनिया के खतरों में छोड़ा नहीं
निर्मल दूध है वचन का दिया
और दिया हमको अनंत जीवन

चरवाहे की मा-िन्न्दि ढू¡ढ़ा उसने
पापों की कीच से निकाला हमें
हमको बचाने को जान अपनी दी
ताकि हाथ में हम उसके रहें

घोंसले को बार-बार तोड़कर उसने
चाहा की सीखें हम उड़ना उससे
परों पर उठाया उकाब की तरह
ताकि हमको चोट न लगे

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