LYRIC

प्रभु महान विचारूँ कार्य तेरे
कितने अद्भूत जो तून बनाये
देखूँ तारे सुनू गर्जन भयंकर
सामर्थ तेरी सारी भूमंडल पर

प्रशंसा होवे प्रभु यीशु की
कितना महान
प्रशंसा होवे प्रभु यीशु की
कितना महान

वन के बीच में तराई मध्य गुज़रूँ
मधुर संगीत मैं चिड़ियों का सुनूँ
पहाड़ विशाल से जब मैं नीचे देखूँ
झरने बहते लगती शीतल वायु

जब सोचता हूँ कि पिता अपना पुत्र
मरने भेजा है वर्णन से अपार
कि क्रूस पर उसने मेरे पाप सब लेकर
रक्त बहाया कि मेरा हो उद्धार

मसीह आवेगा शब्द तुरही का होगा
मुझे लेगा जहाँ आनन्द महान
मैं झुकूगां साथ आदर भक्ति दीनता
और गाऊँगा प्रभु कितना महान

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